ज्ञान मुद्रा या धयान मुद्रा
अंगुष्ठ एवं तर्जनी के अग्रभागों को परस्पर मिलाकर सेष तीनो अंगुलियों को सीधा रखना होता है
लाभ
धारणा एवं ध्यानात्मक स्थति का विकास होता है। एकाग्रता बढ़ती है तथा नकारात्मक विचार कम होते है।
बौद्धिक विकास होता है स्मरण शक्ति बढ़ती है इसीलिए बच्चों के लिए उपयोगी है।
सिरदर्द , अनिद्रा व तनाव दूर होता है
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