संपाती ने हनुमान जी को बताया था, माता सीता का पता, जानिए संपाती कौन थे?
दोस्तों रामायण में एक कहानी आती है जब राम जी को 14 वर्ष का वनवास मिला तो वे वन में रहने लगते हैं। वहां पर एक कुटिया बनाकर दोनों भाई और माता सीता रह रहे थे, तभी वहां रावण एक साधु का भेष बनाकर सीता माता को अपने वाहन में बैठाकर हवा के रास्ते से उड़ा कर ले जाता है। जब यह बात जटायु को पता चलती है तब जटायु सीता माता को बचाने के लिए रावण से लड़ जाते हैं इस बीच रावण, जटायु के दोनों पंख काट देते हैं जिसकी वजह से जटायु जमीन पर आकर गिर जाते हैं। इसी बीच सीता की खोज करते हुए राम और लक्ष्मण जटायु के पास से गुजरते हैं तब उन्हें पता चलता है कि जटायु को रावण ने मारा है और जटायु राम को बताते हैं कि सीता माता को रावण एक वाहन में बैठाकर दक्षिण दिशा की ओर ले गया है। इतने में ही जटायु अपने प्राण त्याग देते हैं तब राम और लक्ष्मण दोनों भाई दक्षिण दिशा की तरफ जाते हैं।
गरुड़ कौन थे?दोस्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार जटायु के एक भाई थे जिनका नाम संपाती था यह दोनों भाई अरुण नाम के एक देव पक्षी के पुत्र थे। अब अरुण के भी एक भाई थे जिनका नाम था गरूण। यह गरूण भगवान विष्णु के वाहन थे तथा अरुण सूर्य देव के सारथी थे।
संपाती ने बताया था माता सीता का पता
दोस्तों जब राम और लक्ष्मण तथा उनके साथ सुग्रीव और हनुमान जामवंत यह सभी लोग दक्षिण दिशा की तरफ पहुंच जाते हैं तब वहां पर इन्हें दूर-दूर तक कोई नहीं दिखाई देता है। हनुमान जी की तीव्र नजर भी वहां पर किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं देख पाती हैं। बस वहां पर दिखता है तो सिर्फ पानी ही पानी। तभी वहां पर किसी के कराहने की आवाज हनुमान जी के कानों में जाती है। जब वह नजर उठा कर ऊपर देखते हैं तो एक पर्वत के ऊपर बहुत वृद्ध अवस्था में एक पक्षी दिखाई देता है। हनुमान जी उनके पास जाते हैं और उनसे उनका परिचय लेने की कोशिश करते हैं। हनुमान जी उनसे पूछते हैं कि, है पक्षीराज तुम्हारा नाम क्या है? वह पक्षी उनको अपना नाम संपाती बताता है। और आगे वह बताता है कि मैंने यहां से रावण को एक वाहन में किसी स्त्री को ले जाते हुए देखा है। हनुमान जी यह सुनकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं और कहते हैं हे,पक्षीराज आपने जिस स्त्री को देखा है वे कोई और नहीं वह तो सिर्फ प्रभु श्री राम की पत्नी और हमारी माता सीता हैं आपने उसको किस ओर ले जाते हुए देखा है। (दोस्तों संपाती की नजर इतनी तेज होती है कि वह कोसों दूर तक की दृश्यों को बड़े ही साफ दृष्टि से देख सकती है) जब हनुमान जी ने उनसे पूछा तब संपाती ने अपनी दृष्टि से तुरंत देख लिया और हनुमान जी को बताया की हनुमान जी इस वक्त हमारी माता सीता रावण के महल लंका में एक कैदी की रूप में अशोक वाटिका के नीचे बैठी हुई हैं और अपने पति श्री राम की प्रतीक्षा कर रही हैं। हनुमान जी तुम तुरंत जाओ और उनको प्रभु श्रीराम से मिलाने की पूरी कोशिश करो। इतना सुनकर हनुमानजी खुश हो जाते हैं और राम जी के पास जा कर यह समाचार पहुंचाते हैं।
और इस तरह से समुद्र पर पुल बना करके श्री राम अपनी सेना को लेकर के लंका जाते हैं और रावण से युद्ध करके रावण को मार देते हैं और सीता माता को उसकी कैद से मुक्त कराते हैं।
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