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gyan mudra

ज्ञान मुद्रा या धयान मुद्रा                                                                         अंगुष्ठ एवं तर्जनी के अग्रभागों को परस्पर मिलाकर सेष तीनो अंगुलियों को सीधा रखना होता है  लाभ       धारणा एवं ध्यानात्मक स्थति का विकास होता है।  एकाग्रता बढ़ती है तथा नकारात्मक विचार कम होते है।          बौद्धिक विकास होता है स्मरण शक्ति बढ़ती है इसीलिए बच्चों के लिए उपयोगी है।          सिरदर्द , अनिद्रा व तनाव दूर होता है      

SURYA MUDRA

 सूर्यमुद्रा तपेदिक होने का खतरा उन लोगो मैं ज्यादा होता है , जिनका रोग प्रतिरोधक छमता कम  होती है।  लगातार खांसी और बलगम होना, इसका एक प्रमुख कारण है यह शरीर मैं जल तत्व की अधिकता का लछण है।  शरीर मैं जल तत्व की वृद्धि से होने वाले अन्य रोगो जैसे कफ, दमा ,सर्दी जुकाम , निमोनिया ,सायनस आदि मैं भी सूर्यमुद्रा कारगर है।  जिस तरह सूर्य सम्पूर्ण विश्व को रौशनी और ऊष्मा देता है।   ऐसे ही सूर्यमुद्रा शरीर का तापमान को बढ़ाती है।   विधि  अनामिका के शीर्ष को अंगूठे के आधार पर लगाएं और अंगूठे से अनामिका पर हल्का दबाब बनाये।  सेष तीनो अंगुलियां सीधी रखें।  प्रातः उठने पर और रात को सोते समय और हर बार भोजन के पांच मिनट पहले तथा १५ मिनट बाद इसे १५-१६ मिनट के लिए करें।  उच्चरक्त चाप के रोगियों को यह मुद्रा कम समय के लिए करनी चाहिए।  गर्मी मैं यह मुद्रा अधिक देर तक नहीं करनी चाहिए।

quff aur elrgee hoga door

भस्त्रिका प्रदायाम भस्त्रिका pradaayam से कई गुना अधिक ऑक्सीजन मिलता हे।  अस्थमा, कफ , एलर्जी की समस्या दूर होती है।  मधुमेह की समस्या दूर होती है। व्यक्ति स्वंम को युवा महसूस करता है। सुखपूर्बक बैठकर गर्दन और रीढ़ को विल्कुल सीधा रखे और ज्ञान मुद्रा लगाए।  प्रसनत्ता पूर्बक वा शांतचित्त होकर, पूरी शक्ति के साथ गहरी सांस फेफड़े मैं भरो।  जितना दबाब सांस लेते समय हो, उतने ही दबाब के साथ सांस बाहर निकलने दें। सांस लेने छोड़ने मैं ढाई - ढाई सेकंड का समय लगाएं।  सांस भरते समय हल्का पीछे झुकें सांस छोड़ते हुए हल्का आगे झुकें।  उच्च रक्तचाप, कमर मैं दर्द , हर्निया के रोगी इसे ना करें।  रोज़ाना केवल २ से 5 मिनट करें।  कैंसर जैसे रोग मैं इसे १० मिनट तक किया जा सकता है।

pet ki charbi kam krein

 उत्थान परस्तासन  उत्थान परस्तासन  से पेट और मेरुदंड लचीला बनता है  पेट की चर्बी कम् होती है  महिलाओं के लिए विशेष लाभकारी है। इससे वायु विकार भी दूर होते है। सबसे पहले पेट के बल लेट जाएँ। अब अपनी भुजाओं  को अपने सीने के नीचे इंटरलॉक करलें। पहले सिर, फिर सीने और अंत मे नितम्बो को ऊपर उठाइये। धड़ को पीछे ले जाते हुए ठुड्डी और सीने को जमीन पर इंटरलॉक भुजाओं  के पीछे सटा दें ताकि नितम्ब अच्छी तरह से ऊपर उठ जाएँ।  नितम्ब ऊपर उटाते हुए साँस भरें और यथाशक्ति रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए सामान्य इस्थ्ती मैं आ जाएँ। इसे अधिकतम 5 मिनट करें। 

shalbhaasan

 विधि   पेट के बल लेटकर दोनों हांथों को जंघाओं के नीचे लगाए  स्वांस अंदर भरकर दाएं पैर को ऊपर उठाए , घुटने से पैर नहीं मुड़ना चाहिए  ठोड़ी भूमि पर टिकी रहे  १० से ३० सेकेण्ड तक इस िस्थति मैं रहिये  ५ से ७ आवर्ती करें   इस प्रकार बांयें पैर से करने के बाद दोनों पैरों से भी शलभासन २ से ४ बार करें   लाभ मेरुदंड के नीचे वाले भाग मे होने वाले सभी रोगो को दूर करता हे  कमर दर्द और सियाटिका दर्द के लिए विशेस लाभदायक है

vkraasan

 बक्रासन  दण्डासन में  बैठकर दाया पैर मोड़कर बाए  जंगा के पास घुटने से सटाकर रखिये  बाया पैर सीदा रहे  बाये हाथ को दाये पैर के बीच से लाकर दायें पैर के पंजे के पास टिकाइये  दाहिने  हाथ को कमर के पीछे भूमि पर सीधा रखिये गर्दन को घुमाकर दाहिनी और मोड़कर देखिये बांया पैर , कमर , दाहिना हाँथ सीधा रहेंगे  इसे चार से छह बार कर सकते हैं  इसी प्रकार दूसरी और से करना चाइये  लाभ  कमर की चर्बी को कम करता है